Thursday, February 18, 2010
Kapil Sibal is ready to change the education pattern
कपिल देव और कपिल सिब्बल में नाम के अलावे एक और समानता है वो है कि पहले ने भारतीय क्रिकेट में नये तरीके से फास्ट बॉलिंग को स्थापित किया जबकि सिब्बल साहब, देश में नये तरीके से पढ़ाई-लिखाई की व्यवस्था को स्थापित करने के भागिरथी प्रयास में लगे हैं. मानव संसाधन विभाग मंत्री के रूप में पढ़ाई-लिखाई के तौर-तरीकों का जिस तरह से “पेरेस्त्रोइका” माने पुनर्जागरण-पुनर्निर्माण करने की दिशा में सधे कदमों से प्रयास कर रहे हैं वो उनके भविष्यद्रष्टा होने की परिकल्पना को जीवंत रखता है. गौर करने वाली बात है कि वो और उनकी टीम अपने ग्रे मैटर का उपयोग कर जो निर्णय और बहस को लोगों के बीच रख रहे हैं वो ध्यानाकर्षक हैः (क) बच्चों के स्कूल बैग का वजन (ख) नर्सरी क्लासेस के लिए उम्र कम से कम 4 वर्ष (ग) 9वीं और 10वीं के लिए गणित एवं विज्ञान का पूरे देश में एक पाठ्यक्रम (घ) पूरे देश में हिन्दी की एकरूपता से पढ़ाई-लिखाई (च) 10वीं की ग्रेडिंग आधारित परीक्षा (छ) रैगिंग पर, कॉलेज और विद्यार्थी, दोनों को कठोर दंड (ज) खुला विद्यालय में विद्यार्थियों की संख्या में इजाफा करना (झ) सरकारी और निजी स्कूलों के लिये नियम-कानून (ट) डिग्री में एडमीशन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर चयन परीक्षा (ठ) पढ़ाई का अधिकार (RTE) Act, 2009 की तैयारी (ण) रेलवे के साथ करारः रेलवे के चयनित ज़मीन पर केंद्रीय एवं नवोदय विद्यालयों का निर्माण (त) विदेशी वि0 वि0 के लिए भारतीय स्पेकट्रम खोलने की तैयारी...अभी यह क्रम जारी है. समय आ गया है कि इस रिफॉर्म में आप-हम शामिल हो जाएं और अपने विचार रखें. आपके कमेंट का भूखा ...
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