Monday, March 1, 2010

अबकी होली, सबकी होली


वैसे तो हर साल होली मनाने में मज़ा आता है, मगर इस बार के होली की अलग थी बात... क्योंकि वित्तमंत्री के मंहगे बजट के बाद आहत दिल को भारतीय हॉकी टीम ने पाकिस्तान को 4-1 से हराकर जो मरहम लगाने का काम किया, उसके कारण आम जनता अपने सारे ग़म भुलाकर.. जमकर फाग खेली. बॉस.. भारतीय हॉकी टीम पाकिस्तानियों पर ऐसे गोल ठोक रही थी..जैसे हमलोग आये अतिथियों-पड़ोसियों को पटक-पटक कर रंग लगाते हैं और चिल्ला-चिल्ला कर गाते हैं – बुरा ना मानो होली है (वैसे बुरा मान ही लोगे तो कौन से वित्तमंत्री मंहगाई कम कर देंगे). मैने बहुत डीपली जाकर सोचा.. कि हमारे वित्तमंत्री ने ऑलरेडी मंहगाई की मार झेल रही जनता को ठीक होली से पहले इतना मंहगा बजट क्यूँ दिया....तब जा कर कहीं समझदानी की कटोरी में ये बात जाकर अटकी कि होली के “दिन दिल मिल जाते हैं..दुश्मन भी गले मिल जाते हैं..” और हम उस औरत की तरह हैं जो रो-गाकर भी अपने कर्तव्य को पूरा कर ही डालती है...वो लोग उस दरोगा की तरह हैं जिसे लाख मानवीय मूल्य समझाएं..मगर वो समझने का भी मूल्य मांगने में थोड़ा भी संकोच नही करता...खैर..जब जनता अपके साथ हो ली तो फिर अबकी होली, सबकी होली..

No comments:

Post a Comment